2000 Rupee Note: RBI ने स्वयं बताया कि Rs 2000 के नोटों को वापस लेने के फैसले का क्या प्रभाव हुआ?

पीटीआई, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (RBI) ने २००० रुपये के नोटों की छपाई बंद करने की घोषणा की थी और पिछले साल उन्होंने इतने नोटों को वापस लेने की जानकारी दी है। यह बात जनता, बैंक और अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित की है, वह RBI ने खुद बताई है।

केंद्रीय बैंक का कहना है कि २,००० रुपये के नोट को लोग अब कम चला रहे हैं। देश में नौ फरवरी को खत्म होने वाले सप्ताह में, ये नोट जो अभी भी लोगों के पास हैं, इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक साल पहले, इसकी वृद्धि 8.2 प्रतिशत थी, पर अब यह सिर्फ़ 3.7 प्रतिशत है। इस सर्कुलेशन का अर्थ यह होता है कि इन नोटों और सिक्कों का इतन नकदी भंडार है जो अर्थव्यवस्था में पैसे के रूप में चल रहे हैं। इस संख्या से बैंकों को पता चलता है कि जनता के पास कितना पैसा है।

2000 का नोट बंद होने से कमर्शियल बैंकों के टोटल डिपॉजिट में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। बैंकों की रिजर्व करेंसी में भी वृद्धि हुई है, लेकिन 9 फरवरी को 5.8 फीसदी से कम हो गई है। एक साल पहले यह 11.2 फीसदी था। रिजर्व करेंसी शब्द का अर्थ होता है रिजर्व बैंक में पड़े बैंकों के डिपॉजिट और अन्य जमा का।

2000 Rupee Note: पिछले साल कहा गया था कि नोट वापस लिए जाएंगे

रिजर्व बैंक ने 19 मई 2023 को एलान किया था कि वह 2,000 रुपये के नोट को वापस ले रही है। जनता को इस नोट को 30 सितंबर 2023 तक बैंकों में जमा करने का समय मिला था। यह समय बढ़ाकर एक हफ्ते तक भी दिया गया। अब बैंकों में 2000 के नोट को नहीं बदला जा सकता है।

31 जनवरी 2024 तक 2000 रुपये के आस-पास सबसे अधिकतम 97.5 फीसदी नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए हैं। अब केवल 8,897 करोड़ रुपये स्थानीय जनता के पास हैं जिनका मूल्य है। नवंबर 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोटों का उपयोग बंद करके, उसके बदले में 2000 रुपये के नए बैंक नोट लाए गए थे।

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