Shark Tank India-3: जिस फोन को आप ‘बेकार’ समझकर एक्सचेंज करते हैं, उसी फोन से दो युवाओं ने 200 करोड़ रुपये की कंपनी बनाई

ReFit Phone Business: शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में बहुत सारे बिजनेस आइडिया पेश किए जा रहे हैं। हाल ही में एक कंपनी उभरी है जो पुराने फोनों का उपयोग करके 200 करोड़ रुपये का व्यापार बना रही है। कंपनी के संस्थापकों की आइडिया शार्क को पहले अच्छी तरह से प्रभावित नहीं कर सकी, लेकिन जब उन्होंने बताया कि इस साल 240 करोड़ रुपये का बिक्री होने वाला है, तो सभी हैरान हो गए। इसके बाद, कैशिफाई के बाद ‘रीफिट स्टार्टअप’ (ReFit Startup) जो पुराने फोनों की बेचाई करने वाली देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है।

ReFit इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल को बेहतर बनाने का काम करता है. यह कंपनी 2017 में अवनीत शेट्टी और साकेत सौरव द्वारा स्थापित की गई थी. उन्होंने अपना कारोबार देशभर के 80 शहरों में फैला दिया है. 2022-23 के वर्ष में, उनकी कंपनी का टर्नओवर 187 करोड़ रुपये था. वे दावा करते हैं कि इस साल यह 240-250 करोड़ रुपये पर पहुंचने की संभावना है. पहले अपनी स्टार्टअप शुरू करने से पहले, अवनीत और साकेत शॉपक्लूज में नौकरी करते थे. उनकी सालाना सैलरी भी लगभग 40 से 45 लाख रुपये थी.

विचार कहां से लाए?

साकेत और अवनीत ने मिलकर एमबीए की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद, अवनीत ने वीडियोकॉन में काम शुरू किया और साकेत ने एलजी ज्वाइन किया। करीब 5 साल बाद, दोनों ने शॉपक्लूज में शामिल हो गए, जहां उन्होंने रीफर्बिश्ड उत्पादों की बिक्री शुरू की। यह उनके लिए एक महान व्यापारिक मौका था। उनका शॉपक्लूज पैकेज उस समय करीब 40-40 लाख रुपये का था। 2017 में, दोनों ने नौकरी छोड़कर अपना व्यापार शुरू करने की योजना बनाई। उस समय, रीफर्बिश्ड फोन का बाजार पश्चिमी देशों में तेजी से बढ़ रहा था। इससे उन्हें विश्वास हुआ कि भारत में भी इसमें तेजी आएगी।

आरम्भ में तक़रीबन 55 लाख रुपये लगाए गए

दोनों ने एक बिजनेस की शुरुआत के लिए लगभग 55 लाख रुपये निवेश किया। उन्होंने 15-15 लाख का कर्ज भी लिया। उनकी कंपनी ने शानदार विचार और उद्योग से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट के सहारे पहले ही दिन से फायदा कमाना शुरू कर दिया। उन्होंने पहले ऑफलाइन मार्केट में मजबूती प्राप्त करने का फैसला किया। उन्होंने बी2बी पर ध्यान केंद्रित किया। शॉपक्लूज पर काम करने के दिनों में उनके उद्योग से जुड़े लोगों के संपर्कों का भी उन्होंने इस्तेमाल करना शुरू किया। अगर रिटेलर्स को भी अच्छा प्राप्ति मिलता तो वे भी खरीदने लगते। शुरुआत में दोनों को-संस्थापक अपनी गाड़ी में रखकर फोन रिटेलर्स को देने चले जाते थे।

रीफर्बिशड और रिपेयर किए गए फोन में अंतर

रिफर्बिश और रिपेयरिंग दोनों अलग-अलग टर्म हैं. जब फोन बिगड़ जाता है, तो उसे ठीक करके उसे दूसरे ग्राहक को बेच दिया जाता है. कई बार फोन में कोई समस्या नहीं होने पर, लोग एक नया मोबाइल खरीद लेते हैं. लेकिन रिफर्बिश करने की प्रक्रिया में, फोन को कुछ निश्चित मानकों पर चेक किया जाता है और खराब हिस्सों को बदलकर उसे वारंटी के साथ बाजार में बेच दिया जाता है.

रीफिट कैसे काम करती है?

यह स्टार्टअप ऑनलाइन खरीदारी के माध्यम से या अन्य रिटेलर से इंगित करे बने फोन खरीदता है। फोन को चेक करने के लिए एक एप इंस्टॉल की जाती है और जब दिक्कत सामने आती है तो यही टीम उसे ठीक करती है। जब फोन ठीक हो जाता है तो उसे वापस खरीदार को दिया जाता है। अब तक तकरीबन 15 लाख फ़ोन बिक चुके हैं।

स्टार्टअप के फ्यूचर प्लान की बात मरें तो रीफिट के निर्माताओं ने अपने डी2सी मार्केट को बढ़ाने और ऑफलाइन मार्केट में मजबूत प्रतिस्थापन के लिए शार्क टैंक में 400 करोड़ रुपये की मूल्यांकन के बदले में 0.5% की डिमांड की थी। लेकिन शार्क के बादबाकी करने के बाद साकेत-अवनीत ने 200 करोड़ रुपये की मूल्यांकन के बदले में 1% साझेदारी और 1% रियल्टी की सौदा किया। जब तक शार्क को 3 करोड़ रुपये वापस नहीं कर दिए जाते, इस सौदे में अनुपम मित्तल, अमित जैन और विनीता सिंह शामिल हैं।

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